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भगवान बुद्ध के और प्रसिद्ध वचन और उनके अर्थ


1. “हजारों दीपक एक ही दीपक से जलाए जा सकते हैं, और उस दीपक का जीवन कम नहीं होता। खुशी बांटने से कभी कम नहीं होती।”

अर्थ: खुशियां बांटने से घटती नहीं, बल्कि बढ़ती हैं।

2. “शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्तव्य है; अन्यथा, हम अपने मन को मजबूत और स्पष्ट नहीं रख पाएंगे।”

अर्थ: शारीरिक स्वास्थ्य मानसिक स्पष्टता और शक्ति के लिए जरूरी है।

3. “गंतव्य पर पहुंचने से ज्यादा महत्वपूर्ण है यात्रा को अच्छे से करना।”

अर्थ: मंज़िल से अधिक यात्रा के अनुभव और उसमें सीखी गई बातें मायने रखती हैं।

4. “आकाश में पूर्व और पश्चिम का कोई भेद नहीं है; मनुष्य अपने मन से भेद बनाते हैं और उन्हें सत्य मान लेते हैं।”

अर्थ: दुनिया में कई विभाजन केवल हमारे मन की कल्पना हैं, वास्तविकता में नहीं।

5. “एक अनुशासित मन ही खुशी लाता है।”

अर्थ: मन को नियंत्रित और प्रशिक्षित करना सच्ची खुशी का आधार है।

6. “सभी दुखों की जड़ है आसक्ति।”

अर्थ: लोगों, चीजों, या परिणामों से जुड़ाव ही हमारे दुखों का कारण बनता है।

7. “जैसे एक सांप अपनी केंचुल छोड़ता है, वैसे ही हमें अपने अतीत को बार-बार छोड़ना चाहिए।”

अर्थ: आत्म-विकास के लिए अतीत को छोड़ना आवश्यक है।

8. “शुद्धता या अशुद्धता व्यक्ति के स्वयं पर निर्भर करती है। कोई अन्य व्यक्ति किसी को शुद्ध नहीं कर सकता।”

अर्थ: हर व्यक्ति अपने कर्मों और विचारों के लिए खुद जिम्मेदार है।

9. “अगर आप किसी के लिए एक दीपक जलाते हैं, तो यह आपके मार्ग को भी उज्जवल करेगा।”

अर्थ: दया और परोपकार का लाभ न केवल दूसरों को, बल्कि हमें भी मिलता है।

10. “खुशी का कोई मार्ग नहीं है; खुशी ही मार्ग है।”

अर्थ: सच्ची खुशी वर्तमान में ही है, भविष्य के किसी लक्ष्य में नहीं।

11. “अपनी मुक्ति का मार्ग स्वयं बनाओ। दूसरों पर निर्भर मत रहो।”

अर्थ: हर व्यक्ति को अपने आध्यात्मिक विकास की जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए।


ये वचन जीवन के गहरे सत्य और मार्गदर्शन से भरे हुए हैं।


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